देश में महामारी का जो आलम है ना, इससे तो लगता है की हम अपनी जान बचा लें ये ही बहुत होगा, मुझे ये कहने में संकोच नहीं हो रहा है की इस देश के लोग क्या सब को मार के ही दम लेंगे, क्या चाहते हैं लोग आज कोरोना के मरीजों की संख्या लगभग 50,000 हो गयी है और ये सिर्फ और सिर्फ लापरवाही का नतीजा है, मैं ये नहीं कह रहा की इसके लिए कौन जिम्मेवार है हम तो नतीजे को देख रहे हैं|ऐसा नहीं की लोग इसे रोकने की कोशिश नहीं कर रहे हैं लेकिन फिर भी लोगों की ये कोशिश ना काफी है| आज अगर देखा जाये तो देश में हर कोई अपना- अपना प्रयास कर रहा है चाहे वो डॉक्टर हो,हॉस्पिटल के कर्मचारी हो, स्वीपर हो, या सरकारी कर्मचारी हों,या वित्तीय विभागों के लोग हों| इतना सब होने के बावजूद भी यदि भारत की जनता ये नहीं समझ रही है की जो लोग अपनी जान पर खेल कर अपना फिर्ज़ निभा रहे हैं तो आम लोगों को उनका साथ देना चाहिए,उनका उत्साह बढ़ाना चाहिए ना की उनका विरोध करें| हर काम सरकार का नहीं है, जो नियम बने हैं उन्हें मानना या ना मानना तो जनता के हाथ में हैं, मैं सिर्फ ये कहना चाहता हूँ की हम लोग यदि नहीं सुधरे तो इसका परिणाम बहुत बुरा होगा|
कोरोना एक महामारी|
• Pankaj Srivastava